Antarvasna hindi sex story: It's Not as Difficult as You Think
भानजी के पति ने मुझे चोद दिया- 1
Xxx फॅमिली सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी बहन audio sex story की बेटी से खुली हुई थी. उसका पति बहुत लंबा चौड़ा था. जब मैं उससे मिली तो उनकी नजर मेरी चूचियों पर थी.
हैलो फ्रेंड्स, मैं शीला बत्तीस साल की एक शादीशुदा औरत हूं.
मैं पटना बिहार से हूं. मेरी 34-30-36 की फिगर बड़ी मस्त है. मेरी हाईट करीब पांच फुट दो इंच है.
मेरे पति जीतू सेल्स मैनेजर हैं और काम के सिलसिले में वे अक्सर बाहर जाते रहते हैं.
मैं अपनी वासना को शांत करने के लिए सेक्स कहानी और ट्रिपल एक्स वीडियो भी देखती हूं और अपनी चूत में उंगली डाल कर अपनी चूत की गर्मी निकाल लेती हूं.
ये एक Xxx फैमिली सेक्स कहानी है.
इस घटना में मैं अपनी भानजी के पति से शादी के घर में चुद गई थी.
मैं मेरी चचेरी बहन की बेटी डॉली के पति के साथ हुई चुदाई के मजेदार रस से आपको रूबरू करवा रही हूँ.
डॉली के पति का नाम अमर है और वह करीब छह फुट लंबा और भारी शरीर वाला एक काले रंग का अफ्रीकन सांड जैसा लगता है.
वो देखने में एकदम भद्दा लगता था जबकि डॉली एकदम हॉट माल है.
उसकी हाईट पांच फुट छह इंच पतली दुबली है. उसका रंग भी मिल्की वाइट है. उसका फिगर 32-28-34 का बड़ा ही कामुक है.
डॉली की उम्र करीब अट्ठाईस साल की है और दो साल पहले उसकी लव मैरिज हुई थी.
वह जब दिल्ली में पढ़ती थी तभी उसका अमर से चक्कर चला और उसके साथ शादी करके वो वहीं सैटल हो गई थी.
हम दोनों सहेलियों की तरह रहती आई थीं.
दिल्ली में रहने से उसके ख्यालात मॉडर्न लड़की की तरह हो गए थे.
वो हमेशा जींस और टॉप में ही रहती थी जबकि मैं साड़ी ब्लाउज में ही रहती हूं.
हालांकि पार्टी वगैरह में मैं लो-कट और स्लीवलैस ब्लाउज़ पहनती हूँ और साड़ी भी नाभि के नीचे पहनती हूं जिससे लोगों का ध्यान मेरी तरफ हो जाता है.
मुझे गंदे कमेंट भी सुनने को मिलते हैं. उनके कमेंट्स सुनकर मेरी चूत में खुजली होने लगती है.
यह सेक्स जो मेरे साथ हुआ, वह करीब छह महीने पहले का किस्सा है.
मेरी चचेरी बहन के लड़के की शादी थी.
उस शादी में मेरी भानजी डॉली और उसका पति अमर भी आया था.
गर्मी का मौसम था, हम लोग मैरिज हॉल में ठहरे थे.
चूंकि डॉली और उसके पति की हाल में ही शादी हुई थी इसलिए उन लोगों को एक ऐ सी कमरा मैरिज हॉल के किनारे वाला दिया गया था.
डॉली के आते ही हम लोग गले मिले.
चूंकि मैं लो-कट ब्लाउज में थी तो मेरे बूब्स थोड़े बाहर निकले हुए थे.
अमर मेरी चूचियों की तरफ नज़रें गड़ाए हुए था.
हम दोनों जब अलग हुईं, तब भी अमर मेरी चूचियों को ही देख रहा था.
इस पर डॉली अमर से बोली- ओ जनाब, क्या देख रहे हो … ये तुम्हारी मौसी सास है. पैर छूकर आशीर्वाद लो.
वो बोला- हां.
वो मेरे पैर छूने आगे बढ़ा तथा साथ में उंगली से पेटीकोट के अन्दर मेरी टांगों के ऊपर सहलाने लगा.
उसके स्पर्श से मेरे बदन में सिहरन पैदा हो गई.
मैंने अपने आप पर संयम रख कर उसके हाथ को हटाया और बोली- आप बड़े नटखट हैं … डॉली आपको कैसे सम्भालती है?
डॉली बोली- क्या बताऊं मौसी, ये हर जगह परेशान करते रहते हैं.
इसी बीच मेरी बहन सोनी आ गई और बोली- तुम लोग बस बातें ही करते रहोगे या आराम वगैरह भी करोगे?
डॉली और उसके पति अमर अपने रूम में चले गए.
उसके कुछ देर बाद हम लोगों ने लंच किया और उसके बाद थोड़ा आराम किया.
शाम को मैं डॉली के रूम में गई.
उस समय उसका पति अमर बाहर गया हुआ था.
हम दोनों सहेलियां घर परिवार की बात करने लगीं.
बात करते करते सेक्स पर भी चर्चा होने लगी.
डॉली ने मुझसे पूछा- तुम्हारी सेक्स लाईफ कैसी चल रही है?
मैं बोली- यार, मेरे पति जीतू सेल्स मैनेजर वाली नौकरी करते हैं तो उन्हें हर समय बाहर ही जाना पड़ता है. इसलिए हमारा तो महीने में तीन चार बार ही सेक्स हो पाता है. वह भी कोई खास नहीं.
डॉली बोली- खास का मतलब?
मैं बोली- वही यार … कुछ ज्यादा देर नहीं हो पाता है. वो दो चार धक्के में ही झड़ जाते हैं.
वो हंसने लगी.
फिर मैं बोली- तुम्हारा अमर के साथ कैसे चक्कर हो गया और बिस्तर में उसके साथ कैसा चल रहा है?
वह बोली- अरे मौसी बोलो मत, उसकी ताकत के चलते ही तो मेरी उससे लव मैरिज हो गई. बेड पर वह बहुत मस्त है. उसे हर रोज चुदाई चाहिए. वह भी दो बार से कम नहीं. रात को तो चाहिए ही है, दिन में भी यदि मौका मिल जाए, तो वह भी चाहिए. मैं तो परेशान हो जाती हूं.
यह सब बात करते करते मेरी पैंटी गीली होने लगी.
मैं उसके अटैच बाथरूम में घुस गई और पैंटी उतार कर चूत में उंगली करने लगी.
चूत में उंगली करते करते मेरी नजर उसकी लाल रंग की पैंटी पर चली गई.
मैंने उस Antarvasna पैंटी को उठा कर देखा तो उसमें अमर का वीर्य लगा हुआ था और डॉली का भी रस लगा था.
मैं उनके रस को सूंघने लगी और मन नहीं माना तो अपने आप मेरी जीभ अमर के वीर्य पर चली गई.
मैंने उसके लंड रस को थोड़ा सा चख लिया.
उधर चूत में उंगली लगातार चल रही थी तो थोड़ी ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
मैंने डॉली की पैंटी से ही अपनी चूत पौंछ ली और बाहर निकल गई.
डॉली बोली कि मौसी बड़ी देर लगा दी … क्या बात हो गई?
मैं झेम्प गई और उसके गले से लग गई.
मैं बोली- अपनी पैंटी को कम से कम धो तो लिया करो.
वह बोली- मौसी क्या करूं … रूम में आते ही अमर झपट पड़ा और फिर तुम आ गई. इसलिए पैंटी गीली ही रह गई थी.
मैं मुस्कुरा दी.
डॉली बोली- मौसी तुम क्या कर रही थी?
मैंने कहा कि मैं भी अपने आपको रोक नहीं सकी और मैं भी अपना कामरस निकाल रही थी.
“वाह बहुत खूब … और उसी से अपनी भी पौंछ दी?”
मैं हंस दी.
यही सब बात होते होते शाम हो गई.
शाम को हल्दी की रस्म होनी थी.
मैंने पीले रंग की ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनी थी और ब्लाउज भी आगे से कुछ ज्यादा ही लो-कट वाला पहना, जिसमें से मेरे चूचे कुछ ज्यादा ही बाहर निकल आए थे.
पीछे से भी ब्लाउज खुला था. उससे मेरी ब्लैक कलर की ब्रा की पट्टी भी दिख रही थी.
डॉली ने भी टाइट लैगी पहनी थी और डिजायनर टॉप डाला हुआ था, जिसमें से उसकी नाभि साफ दिख रही थी.
हल्दी की रस्म होते होते रात के दस बज चुके थे.
सब लोग एक दूसरे को हल्दी लगा रहे थे, मैं भी डॉली को हल्दी लगा रही थी.
इसी बीच अमर भी वहां पर आ गया था तो मैंने उसे भी हल्दी लगा दी.
मेरे यह करते ही अमर मुझे पकड़ कर हल्दी लगाने लगा.
मैं उससे छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी; मैं छुड़ा नहीं पा रही थी.
एकाएक उसका हाथ ढीला पड़ा और मैं भागी, भागकर मैं सीधे उसी के रूम में घुस गई.
अमर भी तब तक अन्दर आ चुका था.
उसने जैसे ही मुझे पकड़ा, मैं बिस्तर पर गिर गई.
वह भी हड़बड़ाकर मेरे ऊपर गिर गया.
उसने मेरी चूची को कसकर पकड़ लिया और हल्दी वाला हाथ मेरी चूची में लगाने लगा.
हल्दी लगाना तो एक बहाना था, वह तो मेरी चूची को अच्छी तरह से मसल रहा था.
मेरे मुँह से आह ओह निकलने लगा.
इसी बीच उसने एक हाथ मेरे पेटीकोट के अन्दर भी डाल दिया और पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलने लगा.
मैं इस हमले के लिए तैयार नहीं थी.
मेरे अन्दर आग लग चुकी थी.
अमर अपना मुँह मेरे मुँह में डाल कर किस करने लगा.
इतना भारी शरीर मेरे ऊपर था कि मैं ठीक से सांस भी नहीं ले पा रही थी.
उसका लंड मेरी नाभि के ऊपर गड़ रहा था, जिससे लग रहा था कि उसका औजार काफी बड़ा है.
इसी बीच डॉली कमरे में आ गई और बोली- अमर, यह क्या कर रहे हो? वह तुम्हारी सासु मां हैं.
अमर हड़बड़ाकर उठ गया.
मेरी झांटें सुलग गईं और भीतर से जलन हो गई कि इस डॉली की बच्ची को अभी ही आना था.
मैं अमर से आंख नहीं मिला पा रही थी.
मैं सीधे बाहर निकल गई और बाथरूम में घुस गई.
मेरी पैंटी सोच सोच कर गीली हो रही थी.
पैंटी में हल्दी लगी हुई थी.
चूची पर भी हल्दी और मसलने के निशान बन गए थे.
मैं फ्रेश होकर बाहर निकली.
रात का डिनर लग चुका था.
डॉली मेरे बगल में बैठी थी और अमर, जीतू की तरफ बैठा था.
मैं अमर को देख नहीं पा रही थी.
डॉली बोली- मौसी अगर मैं नहीं आती तो आज अमर का औजार तुम्हारे अन्दर जाकर तुम्हारी दुकान को तहस नहस कर देता.
मैं कुछ नहीं बोली.
वह बोली- यह अमर का बच्चा है न … बड़ी हरामी चीज है. वह अपनी सोसायटी में भी बहुतों को चोद चुका है. बहुत सारी औरतें बोलती हैं कि डॉली का पति वाकयी मर्द है. उसका औजार जो एक बार ले लेती है, उसे बराबर वही चाहिए.
मैं बोली- क्या सही में ऐसा है?
तो वो बोली कि तो तुम्हें पता नहीं चला?
मैं फिर चुप हो गई.
डॉली बोली- मौसी, तुम्हें चाहिए तो बोलना, मैं सैटिंग कर दूंगी.
मैं बोली- नहीं.
खाना खाने के बाद सब लोग सोने चले गए.
मैं भी हॉल में सो रही थी.
सारे मर्द एक हॉल में और सारी औरतें एक हॉल में थीं.
हमारे हॉल से ही लग कर डॉली का रूम भी था.
मेरी आंख में तो नींद ही नहीं थी. मैंने सोते समय एक नाइटी पहन रखी थी.
हॉल में अंधेरा हो गया था.
मेरी हथेली मेरी चूत को सहला रही थी और अमर के लंड के बारे में ही सोच रही थी.
मेरी चूत में फिर पानी आने लगा.
रात के करीब बारह बज रहा था.
सब औरतें सो रही थीं.
मैं सोचने लगी कि अमर अभी क्या कर रहा होगा, शायद डॉली को चोद रहा होगा.
यह सोचकर मैं उठी और अमर के रूम की तरफ चली गई.
मैंने दरवाजे पर कान लगा दिया.
अन्दर से ‘आह ओह आह …’ की आवाज आ रही थी.
बीच बीच में डॉली बोल रही थी कि आंह बहन के लंड और जोर से चोद.
अमर भी बोल रहा था- साली थोड़ी देर तुम रुक जाती, तो आज मैं मौसी की चूत का भोसड़ा बना देता. आह क्या माल है … कुतिया के क्या रसीले चूचे हैं. साली तुम अपनी मौसी से मेरा टांका भिड़ा दो, जो कहोगी मैं वही करूंगा.
डॉली बोल रही थी- भोसड़ी वाले, अभी मेरी चूत को शांत कर. उसकी चूत की बाद में सोचना.
अमर बोला- साली, तेरी चूत की आग तो कभी शांत ही नहीं होती. रुक छिनाल तेरी मां की भोसड़ी … अभी तेरी चूत का कचूमर निकालता हूं.
अमर कस कस कर चोदने लगा.
डॉली जोर जोर से आह आह ओह ओह करने लगी.
यह सब सुनकर मेरी चूत से पानी निकलने लगा.
मैं अपनी उंगली चूत में चला रही थी.
मेरे ध्यान से उतर गया कि मैं डॉली के रूम के बाहर हूँ.
एकाएक रूम का दरवाजा खुला.
मैं कुछ सोच पाती कि डॉली आ गई और बोली- मौसी, तुम यहां क्या कर रही हो?
मैंने हड़बड़ाकर कर चूत से हाथ हटाया.
वो मुझे एक तरफ ले गई और बोली- मौसी अमर तुम्हारे ऊपर फिदा है. वह बोल रहा है कि एक बार मौसी को चोदना चाहता है.
मैं डॉली से कुछ भी नहीं बोली.
डॉली मुझे खींचकर अपने रूम में ले गई.
अमर नंगा ही लेटा था. उसका काला लंड अभी थोड़ा मुरझाया था लेकिन अभी भी उसका लंड काफी बड़ा था.
इसका मतलब उसका वीर्य भी अभी ही निकला था.
मुझे देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई.
वो बोला- अरे मौसी, आप कैसे आ गईं?
मैं कुछ नहीं बोली.
डॉली बोली- अमर इसकी भी चूत में आग लगी है. इसको अपने कामरस से ठंडा कर दो.
अमर बोला- तुम बस देखती जाओ, मैं मौसी की आग को ठंडा कर दूंगा.
यह कहते ही अमर नाइटी के ऊपर से ही मेरी चूची दबाने लगा.
उसका हाथ बहुत ही कड़ा था, वह बड़ी बेरहमी के साथ मेरे दोनों चूचों को ऐसे निचोड़ने लगा जैसे कोई नींबू को निचोड़ता है.
उसी समय डॉली ने भी अपनी नाइटी उतार दी.
वह कुछ भी अन्दर नहीं पहनी थी. उसकी ब्रा और पैंटी बिस्तर पर एक तरफ पड़ी थी.
डॉली मुझे किस करने लगी.
उसने मेरी नाइटी उतार दी.
अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी.
अमर मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे दूध चूस रहा था, कभी बाएं तो कभी दाहिना.
मैं अपने बस में नहीं रही और अपनी काली ब्रा को उलट दिया.
वह मेरे निप्पल को दांत से धीरे धीरे काटने लगा.
मेरे मुँह से ओह आह आह निकलने लगा.
कभी कभी वो जोर से काट लेता तो मैं चिल्ला देती.
मैं बोली- आह अमर … आराम से चूसो.
अब वह धीरे धीरे चूसने लगा.
मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया.
उसका लंड खड़ा हो चुका था.
मैं उसके लंड को आगे पीछे करने लगी.
मेरी मुट्ठी में उसका लंड पूरा आ नहीं पा रहा था, लंड काफी लंबा था.
मेरे पति का इससे आधा ही होगा.
अमर खड़ा हो गया और अपने लंड को मेरे मुँह के सामने ले आया.
अमर बोला- मौसी, लंड चूसो.
मैं कुछ नहीं बोली.
फिर डॉली बोली- मौसी चूसो न … अच्छा लगेगा.
इसके पहले मैं कभी कभी अपने पति का लंड चूसती हूं. मुँह में वीर्य गिर जाने से मन अच्छा नहीं लगता है.
आज मेरे अन्दर तो आग लगी थी.
मैं उसके लंड को अपने मुँह के पास ले गई और होंठों से लंड को सहलाने लगी.
तभी डॉली ने एकाएक मेरे बालों को पकड़कर पीछे खींचा, इससे मेरा मुँह खुल गया और अमर ने अपना लंड मुँह के अन्दर घुसा दिया.
मैं उसके लंड को चूसने लगी.
उसका लंड काफी मोटा और लंबा था. मैं पूरा नहीं ले पा रही थी.
करीब पांच मिनट हुआ होगा कि लंड ने अपना वीर्य मेरे मुँह में गिरा दिया.
मैंने तुरंत उसके लंड को बाहर निकाला.
मगर उसका कुछ वीर्य मेरी चूची पर गिर गया, कुछ ब्रा पर भी गिर गया.
मैं तेजी से बाथरूम की तरफ भागी.
डॉली अमर से बोली- साले बड़ी जल्दी गिरा दिया?
वह बोला कि तुम देखती जाओ, मैं मौसी से हाथ जुड़वा दूंगा. ये बोलेगी कि अमर अब छोड़ दो.
दोस्तो, कहानी के अगले भाग में आपको अमर के मोटे लंड से मेरी चूत और गांड की चुदाई का मजा पढ़ने को मिलेगा.